यदि कोई नई स्थापित कंपनी किसी चालू व्यवसाय को खरीद लेती है तो इसे कंपनी द्वारा व्यापार क्रय कहा जाता है | जो संस्था अपने व्यवसाय का विक्रय कर रही होती है वह एकल व्यवसायी, साझेदारी संस्था या कोई अन्य हो सकती है जिसे व्यापार विक्रेता कहा जाता है | यदि कोई एकल व्यापारी या साझेदारी फर्म अपने व्यापार को कंपनी में बदल लेते हैं तो ऐसे परिवर्तन को भी कंपनी द्वारा व्यापार क्रय कहा जाता है |
व्यापार का क्रेता अर्थात कंपनी, व्यापार विक्रेता को उक्त व्यवहार के बदले में जिस राशि का भुगतान करता है उसे क्रय प्रतिफल कहते है | क्रय प्रतिफल का निर्धारण करते समय निम्न बिंदुओं को ध्यान में रखना आवश्यक होता है -
व्यापार का क्रेता अर्थात कंपनी, व्यापार विक्रेता को उक्त व्यवहार के बदले में जिस राशि का भुगतान करता है उसे क्रय प्रतिफल कहते है | क्रय प्रतिफल का निर्धारण करते समय निम्न बिंदुओं को ध्यान में रखना आवश्यक होता है -
- यदि प्रश्न में ऐसा कहा जाए कि व्यवसाय क्रय किया तो इसका अर्थ यह होगा कि विक्रेता की समस्त संपत्तियों और दायित्वों को ले लिया गया है |
- समस्त संपत्तियों से आशय नकद, रोकड़ को शामिल करते हुए परंतु Discount on Issue of Share, Preliminary Expenses, Debit Balance of P&L A/c, Miscellaneous Expenses आदि को शामिल नहीं किया जाता है |
- समस्त दायित्वों में पूंजी तथा Reserve & Surplus के अतिरिक्त समस्त दायित्वों से है |
- कुछ सम्पतियाँ व दायित्व जो विक्रेता की पुस्तकों में नहीं हो तो प्रश्न में स्पष्ट सूचना होने पर ही इसे क्रेता कंपनी द्वारा लिया जाएगा |
- क्रय प्रतिफल का निर्धारण निम्न में से जो भी विधि प्रश्न में दी गई हो उसी के आधार पर ज्ञात किया जाएगा -
- शुद्ध भुगतान विधि (Net Payment Method) - क्रेता कंपनी द्वारा विक्रेता को किए गए समस्त भुगतानों का योग कर लिया जाता है |
- शुद्ध संपत्ति विधि (Net Assets Method) - इस विधि में जब क्रेता और विक्रेता के मध्य क्रय प्रतिफल के संबंध में कोई समझौता न हुआ हो तो इस विधि के आधार पर क्रय प्रतिफल ज्ञात किया जाएगा | इस विधि में क्रेता द्वारा ली गई संपत्तियों एवं दायित्वों का अंतर ही क्रय प्रतिफल होता है | यदि प्रश्न में पुनर्मूल्यांकित मूल्य दिए गए हो तो उन्हीं का प्रयोग करना है |
समामेलन से पूर्व एवं पश्चात के लाभ अथवा हानि की गणना
कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार एक कंपनी उस दिन अस्तित्व में आती है जिस दिन कंपनी का पंजीयन होता है | यदि किसी कंपनी में किसी चालू व्यवसाय को ख़रीदा हो तथा समामेलन का प्रमाण पत्र कुछ समय बाद प्राप्त होता है तो व्यापार क्रय तिथि से समामेलन के दिन तक का अर्जित लाभ समामेलन से पूर्व के लाभ कहलाते हैं | यदि कंपनी ने चालू व्यापार को क्रय किया है तथा समामेलन बाद में हुआ है तो ऐसी स्थिति में लाभ को दो भागों में बाँटा जाएगा समामेलन से पूर्व व पश्चात के लाभों का सही आकलन करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है -
- सर्वप्रथम अवधि के आधार पर समय अनुपात ज्ञात किया जाएगा |
- अवधि के आधार पर ही Sales Ratio ज्ञात किए जाएंगे |
- खर्चे बिक्री व समय पर आधारित होते हैं अतः खर्चों को बिक्री में समय अनुपात में बांटना आवश्यक होता है |
- Statement of P&L में लिखे जाने वाले ऐसे व्यय जो समय के आधार पर विभाजित होते हैं जैसे - वेतन, ब्याज, बीमा प्रीमियम, किराया, मूल्यह्रास, अंकेक्षण फीस, विद्युत व्यय, प्रशासनिक व्यय आदि |
- व्यापार खाते (Trading Account) में लिखे जाने वाले आय एवं व्यय को बिक्री अनुपात में बांटा जाएगा | जैसे - Sales, Purchase, Carriage inward, Stock आदि |
- P&L अकाउंट में लिखे जाने वाले व्ययों का बँटवारा बिक्री अनुपात में किया जाएगा | जैसे - Advertisement Expenses, Sales Commission, Sales Agent का वेतन एवं यात्रा व्यय, विक्रय वापसी, डिस्काउंट, Bed Debts, Packing Charges, Carriage Outward, Provision for Doubtful Debts आदि |
- कुछ खर्चे लाभ हानि खाते में ऐसे होते हैं जिनका संबंध न तो बिक्री से होता है और ना ही समय से होता है ऐसे व्ययों के संबंध में निम्न नियम है |
- व्यापार के स्वामी का वेतन, व्यापार स्वामियों की पूंजी पर ब्याज एवं उनके आहरण पर ब्याज ऐसे व्यय हैं जिनका कंपनी से कोई संबंध नहीं होता है अतः ऐसे समस्त व्ययों को समामेलन से पूर्व के व्ययों में शामिल किया जाएगा |
- Director fees, Directors Remuneration, Interest on Debentures, Preliminary Expenses written off, Share transfer fees आदि ऐसे हैं जो केवल कंपनी से संबंधित होते हैं अतः ऐसे व्ययों को समामेलन के बाद के व्ययों में शामिल किया जाएगा |
- यदि व्यापार विक्रेता को क्रय प्रतिफल पर कोई ब्याज का भुगतान किया गया है तथा यह पूर्ण लेखा अवधि से संबंधित नहीं है तो इसे वास्तविक अनुपात के आधार पर बांटा जाएगा |
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ReplyDeleteसमामेलन के पूर्व के लाभ को किसमे अंतरित किया जाता हैः *
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