लाभों के निस्तारण से आशय लाभों के उपयोग से है | लाभ-हानि खाते द्वारा प्रकट लाभों में से कंपनी कुछ लाभों का संचय में हस्तांतरित कर देती है, कुछ लाभों को अंशधारियों में लाभांश के रूप में बाँट देती है तथा कुछ लाभों का पूंजीकरण करके बोनस अंश निर्गमन कर देती है | इस कार्य हेतु लाभ-हानि नियोजन खाता तैयार किया जाता था | वास्तव में यह कोई खाता नहीं होता है वरन लाभ-हानि खाते का ही एक भाग होता है |
31 मार्च 2011 के बाद लाभ-हानि नियोजन खाते के स्थान पर लाभों के आवंटन एवं नियोजन के लिए NOTES TO ACCOUNTS के रूप में SURPLUS A/C तैयार किया जाता है | इस खाते में निम्न व्यवहार किये जाते है अथवा कंपनी अपने लाभों का बँटवारा या नियोजन निम्नलिखित प्रकार से करती है -
- TRANSFER TO RESERVE
- DIVIDEND PAID TO SHAREHOLDERS
- BONUS PAID TO SHAREHOLDERS
इसका विस्तृत विवरण निम्न प्रकार है -
(1) संचयों में हस्तांतरण (TRANSFER TO RESERVE) - कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार कंपनियों को अपने चालू वर्ष के कर के पश्चात के लाभों का एक निश्चित प्रतिशत संचयों में TRANSFER करना अनिवार्य नहीं है | कोई भी कंपनी किसी भी वितीय वर्ष में लाभांश की घोषणा करने से पूर्व उस वित्तीय वर्ष के लाभों में से लाभों का जितने प्रतिशत उचित समझे कंपनी के संचय में TRANSFER कर सकती है |
(2) लाभांश - लाभांश से उन लाभों से है, जो कंपनी ने अंशधारियों में बांटने के लिए निर्धारित कर दिया है | लाभांश में अंतिम तथा अंतरिम दोनों ही प्रकार के लाभांश शामिल होते है | संचालक मंडल द्वारा लाभांश प्रस्तावित करने पर तथा वार्षिक साधारण सभा में अंशधारकों द्वारा प्रस्ताव को स्वीकार करने पर लाभांश कंपनी के लिए दायित्व बन जाते है | लाभांश दो प्रकार के होते है -
- पूर्वाधिकार अंश लाभांश
- सामान्य अंश लाभांश
लाभांश की घोषणा एवं भुगतान से सम्बंधित नियम -
- लाभांश का भुगतान केवल नकद में ही होगा |
- लाभांश केवल चुकता पूँजी पर ही देय होगा | CALLS IN ADVANCE तथा CALLS IN ARREARS पर लाभांश देय नहीं होगा |
- लाभांश केवल आयगत लाभों में से ही देय होता है, पूंजीगत लाभ जैसे - SECURITIES PREMIUM A/C, PROFIT PRIOR TO INCORPORATION, REVALUATION PROFIT, PROFIT ON REISSUE OF FORFEITED SHARES आदि का प्रयोग लाभांश वितरण हेतु नहीं किया जा सकता है |
- लाभांश पर कर की दर 20.35765 % है |
- लाभांश दो प्रकार का होता है - (1) अंतिम लाभांश (2) अंतरिम लाभांश |
NOTES TO ACCOUNTS (TO BE ANNEXED TO THE BALANCE SHEET OF ........)
SURPLUS I.E. BALANCE IN STATEMENT OF PROFIT & LOSS
SHOWING ALLOCATIONS AND APPROPRIATIONS (FOR THE YEAR ENDED .............)
PARTICULAR
|
AMOUNT
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NET PROFIT AFTER
TAX FOR THE CURRENT YEAR
|
XX
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ADD – BALANCE OF
PROFIT BROUGHT FORWARD FROM LAST YEAR
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XX
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TOTAL
PROFIT AVAILABLE FOR ALLOCATIONS AND APPROPRIATIONS
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XX
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LESS – ALLOCATIONS AND APPROPRIATIONS
|
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TRANSFER TO ANY RESERVE
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XX
|
PROPOSED PREFERENCE SHARE DIVIDEND
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XX
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PROPOSED TAX ON PREFERENCE SHARE DIVIDEND
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XX
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PROPOSED EQUITY SHARE DIVIDEND
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XX
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PROPOSED TAX ON EQUITY SHARE DIVIDEND
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XX
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BONUS TO SHAREHOLDERS
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XX
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BALANCE
OF PROFIT TRANSFER TO BALANCE SHEET
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XX
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(3) लाभों व संचयों का पूंजीकरण (बोनस अंश जारी करना) - कंपनी के पास पर्याप्त मात्रा में लाभ होते हुवे भी कम्पनियाँ लाभांश बांटने में असमर्थ होती है क्योंकि लाभांश का नकद वितरण आवश्यक होता है | कंपनी के पास लाभ भी हो तथा नकद भी उपलब्ध हो अथवा दोनों एक साथ हो ऐसा होना आवश्यक नहीं है | कई बार कंपनी के पास नकद की कमी होने के कारण कम्पनियाँ लाभांश का वितरण नहीं कर पाती है तथा कंपनी के लाभ व संचय बढ़ते ही चले जाते है | कई बार एसी स्थिति आ जाती है जब कंपनी के लाभ व संचय खाते का शेष पूंजी से अधिक हो जाता है जो कंपनी की ख्याति के लिए सही नहीं होता है | इस परिस्थिति से बचने के लिए कंपनी अपने लाभों एवं संचयों में से अपने वर्तमान अंशधारियों को अंशों का आवंटन बिना किसी प्रतिफल के कर देती है अथवा अंशतः प्रदत अंशों को पुर्णप्रदत बिना राशि लिए बना देती है | इससे एक तरफ कंपनी की पूंजी बढ़ जाती है तो दूसरी तरफ कंपनी के लाभ व संचय कम हो जाते है | यही क्रिया लाभों व संचयों का पूंजीकरण कहलाती है | लाभों का पूंजीकरण दो प्रकार से किया जा सकता है -
- बोनस अंश निर्गमित किये बिना लाभों का पूंजीकरण - यदि एक कंपनी अपने वर्तमान अंशतः प्रदत अंशों को बिना राशि लिए पूर्णप्रदत बना दे, तो, इससे एक तरफ कंपनी की पूंजी बढ़ जाती है तथा दूसरी तरफ लाभों व संचयों की राशि कम हो जाती है | इससे लाभों का पूंजीकरण हो जाएगा किन्तु बोनस अंश निर्गमित नहीं होंगे | इस कार्य हेतु निम्न लाभों व संचयों का प्रयोग हो सकता है - BALANCE OF SURPLUS A/C, REVENUE RESERVE (CAPITAL RESERVE), CAPITAL PROFIT, SECURITIES PREMIUM, CAPITAL REDEMPTION RESERVE आदि का प्रयोग किया जा सकता है |
- बोनस अंशों के द्वारा लाभों का पूंजीकरण - कंपनी संचय एवं लाभों का पूंजीकरण करके अपने विद्धमान अंशधारियों को मुफ्त में नए अंश निर्गमित कर सकती है | इस क्रिया को बोनस अंशों का निर्गमन करके लाभों का पूंजीकरण कहा जाता है | जब कंपनी अपने वर्तमान अंशधारियों को बिना किसी राशि लिए अंशों का वितरण करती है तो इन अंशों को बोनस अंश कहा जाता है |
Sir I am new faculty in college I want know about corporate accounting probability of theory chapter and practical chapter and most important question
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