Monday, 25 September 2017

अंशों का मूल्यांकन | VALUATION OF SHARES


अंश (SHARE)



कंपनी का चिट्ठा अंश पूँजी को व्यक्त करता है तथा अंश कंपनी की पूँजी का प्रतिनिधित्व करते है | अंश दो प्रकार के होते हैं -

  1. समता अंश (EQUITY SHARE)
  2. पूर्वाधिकार अंश (PREFERENCE SHARE)
पूर्वाधिकार अंशधारियों को समता अंशधारियों से पहले पूँजी व लाभांश वापसी का अधिकार होता है | कंपनी के वास्तविक स्वामी समता अंशधारक होते है | यदि कंपनी अधिक लाभांश अर्जित करती है , तो इन्हें अधिक लाभांश मिलता है तथा लाभ अर्जित न होने पर लाभांश नहीं मिलता है अर्थात पूर्वाधिकार अंशों पर लाभांश की दर स्थिर रहती है जबकि समता अंशों पर लाभांश कि दर बदलती रहती है | इसलिए पूर्वाधिकार अंशों का मूल्यांकन करना सरल है जबकि समता अंशों का मूल्यांकन करना कठिन है | अंशों के मूल्यांकन से तात्पर्य उनके ऐसे मूल्य ज्ञात करने से है , जिस पर उन्हें ख़रीदा या बेचा जा सके |

अंशों के मूल्यांकन कि आवश्यकता क्यों होती है

  1. अंशों को खरीदने या बेचने पर |
  2. जब कंपनी के एक श्रेणी के अंशों को दूसरी श्रेणी के अंशों में बदलना हो |
  3. जब अंशधारी अपने अंशों की जमानत पर लोन लेना चाहता हो |
  4. जब क्रय प्रतिफल का भुगतान अंशों में करना हो |
  5. जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को अंश उपहार में देना चाहता हो |
  6. जब कोई अंशों का धारक अपने अंशों का वास्तविक मूल्य जानना चाहता हो |

अंशों के मूल्यांकन कि विधियाँ 

सामान्यतया कोई विनियोगकर्ता किसी कंपनी में अपने धन का विनियोग करने से पहले दो बातों पर विचार करता है -
  1. क्या उसका धन सुरक्षित रहेगा |
  2. क्या उसे अपने विनियोग पर उचित प्रत्याय प्राप्त होता रहेगा |
इन्ही दोनों बिन्दुओं पर विचार करने के लिए वह कंपनी के अंशों का मूल्यांकन करता है | एवं इसके बाद विनियोग करना है या नहीं का निर्णय लेता है | उपरोक्त दोनों बिन्दुओं के आधार पर अंशों के मूल्यांकन कि निम्न विधियाँ है -

1. शुद्ध सम्पत्ति विधि (NET ASSETS METHOD) - जो विनियोगकर्ता अपने धन कि सुरक्षा को अधिक महत्व देते हैं और वे एसी कंपनी में विनियोग करना चाहते है जहाँ उनका धन पूर्णतया सुरक्षित हो , वे लोग इसी विधि के आधार पर अंश का मूल्यांकन करते है | इस विधि के अंतर्गत यह ज्ञात किया जाता है कि यदि कंपनी समापन में चली जाये तो शुद्ध सम्पत्ति में से अंश-धारकों को क्या मिलेगा | दूसरे शब्दों में दायित्वों को चुकाने के लिये संपत्तियां कितनी है | इसीलिए इस विधि को ASSETS BACKING METHOD भी कहते है | इस विधि को समता विधि, सम्पत्ति मूल्यांकन विधि, आंतरिक मूल्य विधि आदि नामों से भी जाना जाता है|

CALCULATION OF NET ASSETS


PARTICULAR
ANOUNT
FIXXED ASSETS (REVALUED VALUE)
XX
GOODWILL (नया मूल्यांकन लेना है)
XX
PATENT & TRADEMARK
XX
CURRENT ASSETS
XX
INVESTMENTS (TRADE & NON TRADE)
XX
PREPAID EXPENSES
XX
ACCURED INCOME
XX
TOTAL
XXX
LESS -

DEBENTURES
XX
CREDITORS
XX
BILLS PAYABLE
XX
OUTSTANDING EXPENSES
XX
BANK OVER DRAFT
XX
DIVIDEND PAYABLE
XX
PROVISION FOR TAXATION
XX
PROVIDENT FUND
XX
GRATUITY FUND
XX
WORKMEN COMPENSATION FUND (उत्पन्न हुए दायित्व की सीमा तक)
XX
PROPOSED DIVIDEND
XX
PREFERENCE SHARE CAPITAL
XX
NET ASSETS
XXX

NOTE
  1. सम्पतियों और दायित्वों को पुनर्मुल्यांकित मूल्य पर शामिल करना है |
  2. कृत्रिम सम्पतियों जैसे - PRELIMINARY EXPENSES, DISCOUNT ON ISSUE OF SHARES, MISCELLANEOUS EXPENSES आदि को सम्पतियों में शामिल नहीं करना है |
  3. RESERVE & SURPLUS; P&L A/C आदि को दायित्वों में शामिल नहीं करना है |

समता अंशों का शुद्ध सम्पत्ति विधि से मूल्यांकन करने कि चार स्थितियां हो सकती है -


(1) जब सभी समता अंश समान अंकित मूल्य के हो, तथा वे पूर्ण प्रदत भी हो -

(2) जब समता अंशों का अंकित मूल्य समान हो परन्तु प्रदत मूल्य भिन्न-भिन्न हो - एसी दशा में शुद्ध सम्पतियों की राशि में काल्पनिक मांग राशि जोड़ दी जाएगी |


NOTE - उपरोक्त सूत्र में FULLY PAID UP EQUITY SHARE का मूल्य ज्ञात हो जाएगा तथा अंशतः प्रदत अंशों का मूल्य निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाएगा -

VALUE OF FULLY PAID UP SHARE — NOTIONAL CALLS PER SHARE

(3) जब सभी समता अंशों का अंकित मूल्य असमान हो परन्तु वे पूर्ण प्रदत हो - इस दशा में शुद्ध सम्पतियों को पूँजी अनुपात में बाँट दिया जाएगा | इसके बाद प्रत्येक के हिस्से में आई शुद्ध सम्पतियों की राशि में प्रत्येक के द्वारा धारित अंशों का भाग देकर प्रति अंश मूल्य ज्ञात किया जाएगा |


 (4) जब सभी अंशों का अंकित मूल्य असमान हो तथा उनका प्रदत मूल्य भिन्न-भिन्न हो - इस दशा में काल्पनिक मांग राशि को NET ASSETS में जोड़ दिया जाएगा | इसके पश्चात इस राशि को पूँजी अनुपात में बाँट दिया जाएगा | प्रत्येक के हिस्से में आई शुद्ध सम्पतियों कि राशि में प्रत्येक के द्वारा धारित अंशों का भाग देकर प्रति अंश मूल्य ज्ञात किया जाएगा |


जब कंपनी ने समता अंशों के साथ-साथ पूर्वाधिकार अंश भी जारी कर रखे हो तथा दोनों प्रकार के अंशों का मूल्यांकन करना हो तो एसी दशा में चार स्थितियां हो सकती है -

NOTE - उपरोक्त स्थिति नंबर 3 व 4 की दशा में यदि समता अंशों तथा पूर्वाधिकार अंशों का अंकित मूल्य भिन्न-भिन्न हो, तो शुद्ध सम्पतियों को पूँजी अनुपात के आधार पर हल किया जाएगा |

2. प्रतिफल विधियाँ (PROFIT METHODS) - जो विनियोगकर्ता आय को अधिक प्राथमिकता देते है वे अपने अंशों का मूल्यांकन इसी विधि के आधार पर करते है | अंशों का मूल्यांकन करने के लिए निम्न में से किसी को भी आधार बनाया जा सकता है -

(1) लाभांश दर विधि (DIVIDEND RATE METHOD) - वे विनियोगकर्ता जो अल्पकाल के लिए अंशों में विनियोग करना चाहते हैं , वे इसी विधि के आधार पर अंशों का मूल्यांकन करते है -

NOTE
  1. AMOUNT OF DIVIDEND की गणना करते समय कर आयोजन, संचय में हस्तान्तरण तथा पूर्वाधिकार अंश लाभांश आदि की राशि को चालू वर्षों के लाभों में से घटा दिया जाएगा | शेष राशि समता अंशों के लिए उपलब्ध लाभांश कि राशि कहलाती है |
  2. यदि लाभ पिछले कई वर्षों के दिए हो , तो उनका औसत कर लिया जाएगा |

(2) आशान्वित प्रत्याय दर विधि (EXPECTED RATE OF RETURN METHOD) - लाभांश दर विधि की कमी को दूर करने के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है | यह विधि बहुमत अंश धारियों के लिए उपयुक्त है | इस विधि के अंतर्गत समता अंशधारियों के लिए उपलब्ध लाभों के आधार पर अंश का मूल्य ज्ञात किया जाता है |

NOTE
  1. PROFIT AVAILABLE FOR EQUITY SHARE HOLDER कि गणना करते समय चालू वर्ष के लाभों में से कर आयोजन, संचय में हस्तान्तरण तथा पूर्वाधिकार अंश लाभांश आदि की राशि को घटा दिया जाता है |
  2. यदि लाभ पिछले कई वर्षों के दिए हो , तो उनका औसत कर लिया जाएगा |
  3. लाभांश दर विधि तथा आशान्वित प्रत्याय दर विधि दोनों में अंश का मूल्य एक समान आता है | अतः सूचना न होने पर दोनों में से किसी भी विधि का प्रयोग किया जा सकता है |
  4. यदि प्रश्न में घोषित लाभांश कि राशियाँ दी गई हो , तो दोनों विधियों में अंशों का मूल्य अलग-अलग आएगा |
  5. सूचना के अभाव में आशान्वित प्रत्याय दर विधि से मूल्यांकन करना उपयुक्त रहता है |

(3) वास्तविक प्रत्याय दर विधि (ACTUAL ROR METHOD) - जो विनियोगकर्ता दीर्घकाल के लिए विनियोग करना चाहते है , वे  अपने अंशों का मूल्यांकन इसी विधि के आधार पर करते है , क्योंकि दीर्घकाल  अंशधारियों को लाभांश के साथ-साथ रोके गए लाभों में से बोनस अंश भी मिलते हैं | अतः दीर्घकाल में लाभार्जन क्षमता के आधार पर मूल्यांकन करना अधिक उपयुक्त रहता है |

NOTE
  1. PROFIT EARNED से आशय किसी संचय में हस्तान्तरण, ऋणपत्रों पर ब्याज व पूर्वाधिकार अंश लाभांश घटाने से पूर्व लेकिन कर घटाने के बाद के लाभों से है | यदि प्रश्न में NON TRADE INVESTMENT दिया गया हो तो NON TRADE INCOME को लाभों में से घटाया जायेगा तथा ऋणपत्रों के ब्याज को लाभों में जोड़ा जाएगा ऋणपत्रों पर ब्याज लाभों में से पहले ही घटा हुवा रहता है |
  2. यदि लाभ कई वर्षों के दे रखे हो, तो उनका औसत कर लिया जाएगा |
  3. NET CAPITAL EMPLOYED कि गणना -  FIXED ASSETS (REVALUED VALUE) + GOODWILL + TRADE INVESTMENT + CURRENT ASSETS — CURRENT LIABILITIES
  4. NET CAPITAL EMPLOYED कि गणना करते समय DEBENTURES को नहीं घटना है, क्योंकि इसके ब्याज को PROFIT EARNED कि गणना करते समय लाभों में जोड़ा गया है |

3. अंशों का उचित मूल्य  ज्ञात करना -


बोनस अंशों का मूल्यांकन  - कंपनी जब लाभांश का भुगतान नकद में न  करके अंशों के रूप में करती है, तो जो अंश दिए जाते है, वे बोनस अंश कहलाते है | ये बोनस अंश समता अंश ही होते है | कंपनी जब बोनस अंश जारी करती है, तो कंपनी कि समता अंश पूँजी बढ़ जाती है, जबकि कंपनी के लाभ व संचय कम हो जाते है परन्तु कंपनी कि NET ASSETS पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | बोनस अंश जारी करने से समता अंशों की संख्या में वृद्धि हो जाती है | NET ASSETS की गणना वैकल्पिक विधि से की जाती है |

अधिकार अंशों का मूल्यांकन  - कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 62 के अनुसार जब कंपनी अपने विद्यमान अंशधारियों को नए अंश खरीदने के लिए प्रस्ताव करती है तथा इस अधिकार के दौरान जो अंश ख़रीदे जाते है, वे अधिकार अंश कहलाते है | इस प्रकार के अंशों में अधिकार का हस्तान्तरण किया जा  सकता है जिसके मूल्य की गणना निम्न प्रकार की जा सकती है -

NOTE - यदि बाजार मूल्य में लाभांश की राशि शामिल हो, तो उसे घटा देना चाहिए |


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