Saturday, 30 December 2017

समापन की स्थिति में कंपनियों के खाते | Accounts of Companies in Liquidation


Statement of Affairs 
of the .....................as per Winding up Order as on.................

List 'H'
Surplus/Deficiency Statement
Particulars
Amount
Items Contributing to Deficiency

1.   Excess Capital & Liabilities Over Assets for the year (Loss of P&L a/c)
xx
2.   Trading Losses from last Years
xx
3.   Estimated Losses
xx
4.   Other Losses not Recorded in the Books
xx
Total (A)
xx
Items Contributing to Surplus

1.   Excess Assets Over Capital & Liabilities for the Year (Profit of P&L a/c)
xx
2.   Trading Profit From last Years
xx
3.   Estimated Profit
xx
4.   Other Profits not Recorded in the Books
xx
Total (B)
xx
Deficiency/surplus (A-B)
xx

NOTE - Preferential Creditors से आशय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 327(1) के अनुसार निम्नलिखित लेनदार  पूर्वाधिकार लेनदार कहलाते है -

Thursday, 14 December 2017

कंपनियों का एकीकरण | AMALGAMATION OF COMPANIES


वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में छोटी कम्पनियाँ, बड़ी कंपनियों के सामने टिक नहीं पाती है, क्योंकि छोटी कम्पनियाँ छोटे स्तर पर उत्पादन करती है जिससे लागतें अधिक तथा लाभ कम होते है | इनकी अपेक्षा बड़ी कम्पनियाँ बड़े स्तर पर उत्पादन करती है तथा बाजार का नियंत्रण इनके हाथों में रहता है | छोटी कम्पनियाँ बड़े पैमाने के लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से बड़ी कंपनियों के साथ एकीकरण करती है | दूसरे शब्दों में एकीकरण बड़े स्तर पर लाभ कमाने के लिए एक जैसा व्यापार करने वाली दो कंपनियों के आपसी संयोजन का एक तरीका है |लेखा मानक 14 के अनुसार कंपनियों के एकीकरण का व्यवहार किया जाता है |

Thursday, 7 December 2017

अंशों एवं ऋणपत्रों का अभिगोपन | UNDERWRITING OF SHARES AND DEBENTURES


एक कंपनी अंशों के निर्गमन द्वारा विभिन्न प्रकार की सम्पतियों के लिए धन एकत्रित करती है | एक सार्वजनिक कंपनी को व्यापार प्रारम्भ करने से पूर्व 90% अंशों के लिए आवेदन प्राप्त करना आवश्यक होता है | इसे न्यूनतम अभीदान कहा जाता है | ख्याति प्राप्त कंपनी की दशा में यह जोखिम और भी अधिक रहता है कि यदि न्यूनतम अभिदान के बराबर आवेदन प्राप्त नहीं हुवा तो बाजार में कंपनी की प्रतिष्ठा ख़राब होगी | नई कंपनी की दशा में यह जोखिम और भी अधिक रहती है | एसी दशा में इस बात की आवश्यकता होती है की कोई व्यक्ति अथवा व्यक्तियों का समूह इस बात की जिम्मेवारी ले की जनता द्वारा न्यूनतम अभिदान के बराबर अंशों के आवेदन न करने पर एसा व्यक्ति अथवा व्यक्तियों का समूह शेष अंशों को खरीद लेगा | इस व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह को अभिगोपक कहते है और इस अनुबंध को अभिगोपन कहते है |

Saturday, 2 December 2017

कंपनियों के अन्तिम खाते एवं प्रबंधकीय पारिश्रमिक | Final Accounts of Companies and Managerial Remuneration


Statement of Profit and Loss for the year ended
Particular

Amount
I.       Revenue from Operation

xx
II.      Other Incomes

xx
III.     Total Revenue (I+II)

xxxx
lV.     Expenses


Purchase

xx
Changes in Inventories

xx
Opening Stock
xx

Closing Stock
(xx)
xx / (xx)
Employees benefit Expenses

xx
Finance Cost

xx
Depreciation and Amortization Expenses

xx
Other Expenses

xx
Total Expenses

xxx
V.      Profit before Exceptional and Extraordinary Items and Tax (lll–lV)

xx
Vl.     Exceptional Items

xx
Vll.    Profit before Extraordinary Items and Tax (V–Vl)

xx
Vlll.   Extraordinary Items

xx
lX.     Profit before Tax (Vll–Vlll)

xx
X.      Tax Expenses


Provision for Tax

xx
Xl.     Net Profit after Tax (lX–X)

xx
Balance Sheet as at ....................
Particular
Amount
I          EQUITY AND LIABILITIES

           (1) Shareholder’s Funds

(a)  Share Capital
xx
(b) Reserve and Surplus
xx
           (2) Non-Current Liabilities

(a)  Long-Term Borrowing
xx
(b) Other Long-Term Liabilities
xx
(c)  Long-Term Provisions
xx
           (3) Current Liabilities

(a)  Short-Term Provisions
xx
(b) Trade Payables
xx
(c)  Other Current Liabilities
xx
(d) Short-Term Provisions
xx
TOTAL
xx
II       ASSETS

           (1) Non-current Assets

(a)  Fixed Assets

(i)    Tangible Assets
xx
(ii)  Intangible Assets
xx
(b) Non-Current Investment
xx
(c)  Long-Term Loans and Advances
xx
(d) Other Non-Current Assets
xx
           (2) Current Assets
xx
(a)  Current Investment
xx
(b) Inventories
xx
(c)  Trade Receivables
xx
(d) Cash and Cash Equivalents
xx
(e)  Short-Term Loans and Advances
xx
(f)   Other Current Assets
xx
TOTAL
xx

प्रबंधिकीय पारिश्रमिक 
प्रबंधकीय व्यक्तियों में संचालक, प्रबंध संचालक, प्रबंधक आदि शामिल होते है | इन प्रबंधकीय व्यक्तियों को दिया जाने वाला पारिश्रमिक प्रबंधकीय पारिश्रमिक कहलाता है | संचालक पूर्णकालिक व अंशकालिक हो सकते है | प्रबंधकीय पारिश्रमिक की गणना कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 197 व 198 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार की जाती है | लाभ कमाने वाली कंपनियों द्वारा देय पारिश्रमिक पर कंपनी अधिनियम में कुछ प्रतिबन्ध लगे गए है अर्थात अधिकतम पारिश्रमिक की सीमा निर्धारित की गई है | इस सम्बन्ध में निम्न प्रावधान है -
(1) सभी संचालकों (प्रबंध संचालक, पूर्णकालिक संचालक व प्रबंधक सहीत) को किसी भी वितीय वर्ष के शुद्ध लाभों के 11% तक की राशि का अधिकतम पारिश्रमिक दिया जा सकता है |

(2) यदि कंपनी में केवल एक ही प्रबंध संचालक या प्रबन्धक है, तो उसे अधिकतम शुद्ध लाभों का 5% पारिश्रमिक दिया जा सकता है |

(3) यदि कंपनी में एक से अधिक प्रबंध संचालक तथा पूर्णकालिक संचालक है, तो उन सभी को अधिकतम शुद्ध लाभों का 10% पारिश्रमिक दिया जा सकता है |

(4) अंशकालिक संचालकों (प्रबंध संचालक को छोड़कर) का पारिश्रमिक -
  1. यदि कंपनी में कोई प्रबंध संचालक या पूर्णकालिक संचालक न हो तो उन्हें अधिकतम शुद्ध लाभों का 3% तक पारिश्रमिक का भुगतान किया जा सकता है \
  2. यदि प्रबंध संचालक या पूर्णकालिक भी हो, तो उन्हें अधिकतम शुद्ध लाभों का 1% तक पारिश्रमिक का भुगतान किया जा सकता है |


Wednesday, 15 November 2017

लाभों का निस्तारण एवं लाभों का पूंजीकरण | DISPOSAL OF PROFITS AND CAPITALISATION OF PROFIT



लाभों के निस्तारण से आशय लाभों के उपयोग से है | लाभ-हानि खाते द्वारा प्रकट लाभों में से कंपनी कुछ लाभों का संचय में हस्तांतरित कर देती है, कुछ लाभों को अंशधारियों में लाभांश के रूप में बाँट देती है तथा कुछ लाभों का पूंजीकरण करके बोनस अंश निर्गमन कर देती है | इस कार्य हेतु लाभ-हानि नियोजन खाता तैयार किया जाता था | वास्तव में यह कोई खाता नहीं होता है वरन लाभ-हानि खाते का ही एक भाग होता है |

Tuesday, 31 October 2017

एकीकृत चिट्ठा एवं लाभ हानि खाता | CONSOLIDATED BALANCE SHEET AND PROFIT & LOSS A/C


एकीकृत चिट्ठा एवं लाभ हानि खाता 
(CONSOLIDATED BALANCE SHEET AND PROFIT & LOSS A/C)

सूत्रधारी एवं सहायक कंपनी के लेखे जब एक साथ तैयार किये जाते है, तो एकीकृत लेखे कहा जाता है | सूत्रधारी कंपनी वह होती है जो किसी दूसरी कंपनी के 51% से अधिक अंशों का क्रय करती है | जिस कंपनी के अंश क्रय किये जाते है वह सहायक कंपनी कहलाती है |

लेखा मानक 21 के लागू हो जाने से पूर्व भारत में कम्पनियाँ एकीकृत लेखे तैयार करने को बाध्य नहीं थी | परन्तु लेखा मानक 21 (एकीकृत वित्तीय विवरण) के लागू हो जाने के बाद प्रत्येक कंपनी को वित्तीय विवरणों को एकीकृत करना अनिवार्य हो गया है | सूत्रधारी एवं सहायक कंपनी के वित्तीय विवरणों को एकीकृत करना इसलिए अनिवार्य हो गया है ताकि सूत्रधारी कंपनी के अंशधारी अपने हितों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सके हांलाकि सूत्रधारी कंपनी के अंशधारियों का हित सहायक कंपनी के अंशों कि संख्या तक ही सीमित होता है | अतः यह आवश्यक हो गया है कि सूत्रधारी कंपनी एवं सहायक कंपनी के लिए एकमात्र चिट्ठा एवं एकमात्र लाभ-हानि खाता बनाया जाए | इसके पीछे प्रमुख मान्यता यह है कि सूत्रधारी कंपनी एवं उसकी सभी सहायक कम्पनियाँ एक समूह के रूप में एक व्यावसायिक इकाई के रूप में कार्य करती है|

Monday, 23 October 2017

दोहरा खाता पद्धति | DOUBLE ACCOUNT SYSTEM


दोहरा खाता पद्धति (DOUBLE ACCOUNT SYSTEM)

दोहरा खाता पद्धति - एसी संस्थाएं जिनका समाज को सेवा प्रदान करने के व्यवसाय में एकाधिकार होता है, एसी संस्थाओं कि स्थापना संसद के विशेष अधिनियम द्वारा होती है | इन कंपनियों को जनोपयोगी संस्थाएं कहा जाता है | जैसे - बिजली आपूर्ति कंपनी, जल आपूर्ति कंपनी , रेलवे कंपनी, गैस आपूर्ति कंपनी आदि | इन संस्थाओं में पूँजी का बहुत बड़ा भाग विनियोजित होता है | यह पूँजी जनता कि होती है अतः यह आवश्यक है कि कंपनियाँ अपने लेखों का प्रस्तुतीकरण इस प्रकार से करे जिससे एक सामान्य व्यक्ति देखकर कंपनी कि वितीय स्थिति कि जानकारी प्राप्त कर सके | इसी उद्देश्य कि पूर्ति के लिए लेखों का प्रस्तुतीकरण एक विशेष पद्धति जिसे दोहरा खाता पद्धति कहते है के अंतर्गत किया जाता है |

Monday, 25 September 2017

अंशों का मूल्यांकन | VALUATION OF SHARES


अंश (SHARE)



कंपनी का चिट्ठा अंश पूँजी को व्यक्त करता है तथा अंश कंपनी की पूँजी का प्रतिनिधित्व करते है | अंश दो प्रकार के होते हैं -

  1. समता अंश (EQUITY SHARE)
  2. पूर्वाधिकार अंश (PREFERENCE SHARE)
पूर्वाधिकार अंशधारियों को समता अंशधारियों से पहले पूँजी व लाभांश वापसी का अधिकार होता है | कंपनी के वास्तविक स्वामी समता अंशधारक होते है | यदि कंपनी अधिक लाभांश अर्जित करती है , तो इन्हें अधिक लाभांश मिलता है तथा लाभ अर्जित न होने पर लाभांश नहीं मिलता है अर्थात पूर्वाधिकार अंशों पर लाभांश की दर स्थिर रहती है जबकि समता अंशों पर लाभांश कि दर बदलती रहती है | इसलिए पूर्वाधिकार अंशों का मूल्यांकन करना सरल है जबकि समता अंशों का मूल्यांकन करना कठिन है | अंशों के मूल्यांकन से तात्पर्य उनके ऐसे मूल्य ज्ञात करने से है , जिस पर उन्हें ख़रीदा या बेचा जा सके |

Friday, 15 September 2017

ख्याति का मूल्यांकन | VALUATION OF GOODWILL


ख्याति  (GOODWILL)

यह एक स्थाई सम्पत्ति होती है | इसे अमुर्तवान सम्पत्ति भी कहा जाता है क्योंकि इसे देखा नहीं जा सकता है | व्यवसाय में ख्याति का होना लाभों का परिचायक होता है | सामान्य शब्दों  में ख्याति से तात्पर्य यश , प्रतिष्ठा एवं कीर्ति आदि शब्दों से लगाया जाता है |
              विद्वान न्यायाधीश मेकनोटन ने एक कैश के फैसले मे ख्याति को परिभाषित करते हुए लिखा कि "ख्याति का वर्णन करना सरल है परन्तु इसकी परिभाषा देना एक कठिन कार्य है | यह एक आकर्षण शक्ति है जो राह चलते ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करती है |"
              ख्याति उसी व्यापार में होती है जहाँ सामान्य लाभ से अधिक लाभ होते है | यदि व्यवसाय असाधारण लाभ कमाता है तो , यह निश्चित रूप से ख्याति के कारण से ही सम्भव होता है |